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Tuesday, July 8, 2008

मुमकिन है कैंसर के साथ जीना !

कैंसर का खौफ अब पहले से कम हो रहा है। कैंसर के बावजूद अब कई लोग उसी तरह लंबी जिंदगी जी रहे हैं जैसे कि हार्ट की बीमारी या डायबिटीज के मरीज जीते हैं। बीमारी का इलाज न हो तो भी उसका मैनेजमेंट कई बार मुमकिन हो पाता है। कैंसर का मतलब जीवन का अंत नहीं है, इस बात को रेखांकित करता एक लेख आज नवभारत टाइम्स के संपादकीय पन्ने पर मुख्य लेख के रूप में छपा है। लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

ये लेख आर अनुराधा ने लिखा है, जिनकी राजकमल-राधाकृष्ण से छपी किताब इंद्रधनुष के पीछे -पीछे, एक कैंसर विजेता की डायरी बेस्टसेलर रही है। अनुराधा के ब्लॉग का नाम है इंद्रधनुष

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