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Thursday, September 25, 2008

शिमला में है लड़कियों का पहला कॉलेज, सौ साल पुराना ये कॉलेज क्या बंद हो जाएगा?


देश का पहला लड़कियों का कॉलेज सेंट बीड्’स, जल्दी ही बंद हो जाएगा। राष्ट्रीय बालिका दिवस पर ये खबर आई है। 1904 में बने शिमला के इस कॉलेज के प्रशासन ने सरकार से कहा है कि अगर उन्हें मिल रही आर्थिक मदद को बढ़ाया नहीं गया तो कॉलेज बंद करना ही होगा। कॉलेज बंदी की योजना बनने भी लगी है। दरअसल इस साल मार्च में सरकार ने एक नियम बना कर निजी कॉलेजों को मदद 95 फीसदी से घटा कर 50 फीसदी कर दी।

प्रिंसिपल मौली अब्राहम का कहना है कि फीस बढ़ा कर पैसे की तंगी को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। लेकिन हम लड़कियों को सस्ती शिक्षा के अपने मकसद से हटना नहीं चाहते। 1970 से कॉलेज की फीस 70 रुपए प्रतिमाह तय है।दिल्ली के प्रतिष्ठित जीजस एंड मैरी का सहयोगी संस्थान सेंट बीड्’स राज्य का एकमात्र कॉलेज है जिसे एन ए ए सी का ए प्लस का दर्जा मिला हुआ है।

दिलचस्प बात ये है कि 1967 में जब दिल्ली में नया जीजस एंड मैरी कॉलेज बना तो यह तय हुआ कि शिमला के इस कॉलेज को बंद कर दिया जाए। तब हिमाचल सरकार और स्थानीय लोगों के कहने पर इसे बंद करने का पैसला टाल दिया गया। डाक विभाग ने संस्थान के 100 साल होने पर डाक टिकट भी जारी किया है।

इस कॉलेज से जुड़ी कुछ मशहूर हस्तियां हैं- हिमाचल की पहली महिला आई पी एस अधिकारी सतवंत अटवाल त्रिवेदी, पहली महिला हिमाचल पुलिस अधिकारी पुनीता कुमार, मिस इंडिया अंजना कुथलिया, फिल्मी हस्ती प्रिटी ज़िंटा।

2 comments:

फ़िरदौस ख़ान said...

अच्छी जानकारी मिली...

सोतड़ू said...

अनुराधा जी आपकी चिंता तो जायज़ लगती है लेकिन मैं ये जानना चाहता हूं कि आखिर फ़ीस न बढ़ाने का आग्रह कितना सही है। 1970 में सत्तर रुपये कम थे तो आज तो ये मुफ़्त ही हैं। दिल्ली में 1985-95 तक 12.50 रु के डीटीसी पास में हम घूमे हैं। ये पास आज बी 12.50 की दर से ही बन रहा है। क्या बेवकूफ़ाना ज़िद है कि छात्रों के पास के पैसे नहीं बढ़ाएंगे- क्योंकि गरीब ही बस से आते हैं। कैसी मुफ़्तखोरी की आदत डाल दी है। यही छात्र-छात्राएं 25 रुपये से ज्यादा ख़र्च करते हैं, खाने-पीने पर।
मुझे लगता है कि बीड्'स को बचना चाहिए, लेकिन बेवकूफ़ानी ज़िद पर नहीं।

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